चर्चा में होने का कारण
हिमालयन वियाग्रा को IUCN की लाल सूची में असुरक्षित प्रजाति(Vulnerable) का दर्जा दिया गया, बाजार में इस फंगस ,हिमालयन वियाग्रा की कीमत 20 लाख रुपये प्रति किलो तक है।
■ हिमालयन वियाग्रा- यह फंगस एक प्रकार का परजीवी है जो अपने विकास के लिए किसी दूसरे जीव पर निर्भर रहता है, दूसरे जीव को यहां caterpillar कहा जाता है जिसके अंदर यह फंगस अपना विकास करता है, यह फंगस चीन,कोरिया में बहुत प्रचलित है जिसका उपयोग कामोत्तेजना में किया जाता है जिसे तकनीकी रूप में Aphrodisiac कहा जाता है।
इस फंगस का वैज्ञानिक नाम-
Cordyceps fungus- ophiocordyceps sinensis
इस फंगस को कई अलग अलग नामों से जाना जाता है।
●हिमालयन वियाग्रा
●चीनी कैटरपिलर फंगस
● यरतसा गम्बू
●कीड़ा जड़ी
■यह फंगस का रहवास हिमालयन के पर्वतों पर है, जहाँ की समुद्र तल से ऊंचाई 3000 मीटर से 5000 मीटर हो।
यह उत्तराखंड,सिक्किम,नेपाल,,तिब्बत,भूटान,चीन के प्रान्त यूनान में अधिक पायी जाती है।
इस फंगस को लैबोरेटरी में नहीं बनाया जा सकता,यह प्राकृतिक वातावरण में ही मिलती है जहाँ साल के अधिकांश समय बर्फ की चादर और गर्मियों में जब बर्फ पिघलती है तो ये अंकुरित होकर ज़मीन से ऊपर आ जाती हैं।
इस फंगस का उपयोग
◆ प्राचीन काल से चीन में इस फंगस का उपयोग कामोत्तजना के लिए किया जाता रहा है, लेकिन आज के बदलते युग में इस पर शोध करके इसके कई और फायदों की भी पहचान की गई है:
जैसे आज के समय इसका उपयोग दर्द,श्वसन संबंधी रोग,शारीरिक ताकत,लिवर संबंधी,ल्यूकेमिया के इलाज,क्षय रोग में इसके फायदे देखे गए हैं।
अस्तित्व पर खतरा
आज के समय इस फंगस की मांग बहुत तेजी से बढ़ती जा रही है, जिसके चलते पहाड़ों पर रहने वाले इसका बहुत अधिक मात्रा में दोहन कर रहे है जिसके चलते इसका विकास हर साल कम होता जा रहा है। इसलिए
इसको संरक्षण प्रदान करने के लिए इसे IUCN की लाल सूची में असुरक्षित श्रेणी में डाला गया है। जिससे इसको बचाया जा सके।।
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-Naman Jain
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